IIT Bombay Abhay Singh 2025 आखिर क्या है सच्चाई || उनके पिता की जुबानी, आतंकवादी बनने

IIT Bombay Abhay Singh 2025:आईआईटी बॉम्बे से पढ़े लिखे एक बाबा, जिन्होंने हाल ही में पावन प्रयाग राज महाकुम्भ में अपनी उपस्थिति से सबका ध्यान खींचा है आज आध्यात्मिकता और साधना का प्रतीक बन गए हैं। उनका जीवन संघर्ष, सफलता और आत्मिक शांति की तलाश की अनोखी कहानी है।

IIT Bombay Abhay Singh 2025: परिचय, परिवार और प्रारंभिक जीवन के बारे में उनके पिताजी ने क्या कहते है-

 वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। परिवार ने शिक्षा को प्राथमिकता दी, और उनकी प्रतिभा के कारण उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिला। उनके माता-पिता उन्हें एक सफल इंजीनियर के रूप में देखना चाहते थे।

वायरल बाबा के पिता जी ने, बताया कि “भाई कंपनी वाले 1 लाख तब देंगे जब 2 लाख का काम कर के देगा, और पढ़ ले , उनको फोटोग्राफी का भी शौख था उसमे भी उनको अच्छी प्रोग्रेस मिली , उसके बाद उसने लगभग 6 महीने दिल्ली के अंदर एक कंपनी में सर्विस भी करी।

इसके बाद वो कनाडा चले गए , वह वहां भी रेपुटेड कंपनी में काम किये। इसके बाद वो बोलने लगे मैं यहां काम नहीं करूँगा मैं तो इंडिया आऊंगा, उनके पिताजी ने इंडिया आने के लिए यस भी कर दिया। आने के बाद दिल्ली में 2-3 महीने रहा , गर्मी का समय था , उसने घर पर व्हाट्सप्प किया कि मम्मी धन-दौलत, साम्राज्य तो मिल जाते है परन्तु, जिंदगी चली गयी तो फिर कुछ नहीं मिलेगा , उसके बाद वही से मसूरी चला गया और वहां उसने फैसला ले लिया सन्यासी बनने का ।

शिक्षा और करियर

उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और बाद में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। लाखों की नौकरी और प्रतिष्ठा के बावजूद, उन्हें यह महसूस हुआ कि भौतिक उपलब्धियां उन्हें वास्तविक संतुष्टि नहीं दे पा रही थीं।

IIT Bombay Abhay Singh 2025 सन्यास की ओर कदम

आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने की उनकी यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने भारतीय दर्शन, योग और ध्यान का गहन अध्ययन किया। धीरे-धीरे, उन्होंने सांसारिक जीवन छोड़कर सन्यास धारण कर लिया और लोगों को आत्मिक शांति के मार्ग पर प्रेरित करने लगे।

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महाकुंभ और वर्तमान जीवन

महाकुंभ में उनकी उपस्थिति ने लोगों को चौंका दिया। उनका साधारण जीवन और गहन ज्ञान लोगों को आकर्षित करता है। बाबा आज समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और जीवन का गहरा अर्थ समझाने में मदद कर रहे हैं।

आईआईटी वाले बाबा अभी काफी चर्च में है, सोशल मीडिया पर बाबा के बारे में तरह तरह के टिप्प्पणी देखने को मिल रही है –

एक सोशल मीडिया फेसबुक यूजर ने लिखा – जीने दो भगवन के लिए अध्यात्म में पढ़े लिखे लोग नहीं जा सकते  क्या? सारा प्रयागराज साधु संतो से भरा है, क्या? वो बिना माता पिता के है, उसने आगे ये भी लिखा -” पढ़ लिख कर आतंकवादी बनने से अच्छा है अध्यात्मिक जीवन जीना ”   

एक यूजर ने लिखा – सनातन पूर्ण रूप से विज्ञानं है । इसीलिए , विज्ञानं का छात्र ने अध्यात्म को , और विस्तार से जानने के लिए वैराग्य का रास्ता चुना, ये दिखता है की विज्ञानं और सनातन एक दूसरे का साथी है ।

एक भाई साहब ने तो कमाल ही कर दिया- उन्होंने क्या लिखा (Muneer Ahmed)- इसको पाला-पोसा मेहनत का पैसा लगाकर पढ़ाया-लिखाया, इस उम्मीद में की कुछ बनेगा, बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन इसने तो सब बर्बाद कर दिया, इतना ही नहीं आगे इन्होने लिखा – भगवान् ऐसी औलाद किसी को न दे।

ओपिनियन अभी यही ख़त्म नहीं होता , एक काका ने तो कमल ही कर दिया – उन्होंने लिखा ” अगर किसी भारतीय लड़की से शादी करता तो आज दहेज़ के मुक़दमे में जेल में होता, आगे उन्होंने लिखा- बाबा जान है तो जहान है ।

आगे फिर नेगी चौधरी ने फेसबुक पर लिखा – बेटा के इंजीनियर बनने के बाद माता-पिता को कोई नहीं जनता था, लेकिन आज भगवान के श्री चरणों में अपने को समर्पित करने के बाद खुद की भी पहचान बनायीं है, और माता- पिता  को भी लोग जान रहे है ।

वायरल आईआईटी बाबा के बारे में आपका क्या ओपिनियन है, क्या बाबा की कहानी 96 लाख रूपये डिजिटल गेम में हारने वाले की तरह है कमेंट में जरूर बताये। क्या अभय सिंह के साधु बनने का फैसला नासमझी है, या बाबा प्यार में धोखा मिलने के बाद मोहमाया से निकल कर साधु का वेश धारण कर लिया है ।

 

 

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