26/11 mumbai attack
2008 में साउथ मुंबई के ताज होटल पर हुए हमले के 16 साल बीत गए, लेकिन वो भयानक हमला आज भी कुछ दिलो में डर पैदा कर गया। जिसका उदाहरण 8 वर्ष की छोटी है, जो आज 25 वर्ष की हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलो में शामिल पाकिस्तान के 10 आतंकवादी जो भारी हथियारों से लैस थे। हमले में आतंकियो ने मुंबई के प्रमुख स्थानो को निशाना बनाया|लगभग 3 दिनों के दौरान, हमलावरों ने ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) और नरीमन हाउस सहित दक्षिण मुंबई के प्रमुख स्थानों को निशाना बनाया। ईस नरसंहार में 166 लोगों के साथ 18 सुरक्षाकर्मी भी मारे गए, 250 से ज्यादा लोग घायल भी हुए, उन घायलों में एक नाम देविका रोतावन का भी था, जो उस समय मात्र 8 साल की एक छोटी बच्ची थी|जिसके शरीर पर उस दर्दनाक रात के निशान आज भी मौजूद हैं।”मैं उस रात को कभी नहीं भूल सकती” हमलों की 16वीं और वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर बोलते हुए, अब 25 वर्षीय देविका ने सीएसएमटी में हुई घटनाओं को जीवंत रूप से याद किया, जहां वह गोलीबारी में फंस गई थी। देविका ने पीटीआई को बताया, “16 साल हो गए हैं, लेकिन मुझे अभी भी याद है कि मैं क्या कर रही थी, मैं कहां जा रही थी और हमला कैसे हुआ।” देविका अपने पिता और भाई के साथ पुणे जाते समय सीएसएमटी में थी, जब पहला विस्फोट हुआ।देविका अपने पिता और भाई के साथ पुणे जा रही थीं, तभी CSMT में पहला विस्फोट और गोलीबारी हुई। उन्होंने याद करते हुए कहा, “हम बांद्रा से CSMT पहुंचे ही थे कि एक बम विस्फोट हुआ और उसके बाद गोलियों की बौछार हो गई। सभी उम्र के लोग बुरी तरह घायल हुए।”उसके पैर में गोली लगी थी और उसे सेंट जॉर्ज अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे सर्जरी के लिए जेजे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। ठीक होने में एक महीने से अधिक समय लगा, लेकिन भावनात्मक जख्म अभी भी बने हुए हैं
26 नवंबर, 2008 के समन्वित हमलों ने न केवल नागरिकों को निशाना बनाया, बल्कि भारत के सुरक्षा बलों को भी चुनौती दी। 60 घंटों से अधिक समय तक, आतंकवादियों ने भीषण गोलीबारी की और लोगों को बंधक बना लिया, जिससे ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस सहित अन्य स्थानों पर तबाही का मंजर देखने को मिला।सुरक्षा बलों ने नौ हमलावरों को मार गिराया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया। उसके बाद का मुकदमा और फांसी भारत के आतंकवाद विरोधी कथानक में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया।
देविका की पीड़ा उसके ठीक होने के बाद खत्म नहीं हुई। जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसके परिवार से संपर्क किया, तो वह अजमल कसाब के खिलाफ अदालत में गवाही देने के लिए तैयार हो गई, जो एकमात्र जीवित आतंकवादी था। उसने कहा, ” मेरे पिता और मैंने दोनों ने आतंकवादियों को देखा था, और मैं अजमल कसाब को पहचान सकती थी, जिसने इतना दर्द दिया।